Tuesday 16 July 2013

रमजान मुबारक

सद्भाव. नेकी और इंसानियत का पैगाम देने वाले रमजान पर्व को मुश्लिम भाइयों द्वारा देश सहित पूरे विश्व बार में मनाया जाता है. संकल्प. निष्ठां और परंपरा का पर्याय यह पर्व श्रदालुओं को उत्साह से भर देता है.
इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिए पांच फर्ज(लाजिमी)बताए गए हैं। कलमा, नमाज, रोजा, हज व जकात इनमें शामिल हैं। इ
नमें से साल में एक माह के रोजों का खास महत्व हैं। रोजा हर उस इंसान पर फर्ज है जिसकी उम्र 15 साल हो गई हो। रोजा तो शरीर के हर हिस्से का होता है। बुरा कहने पर पाबंदी है तो बुरा सुनने की भी मनाही है। रोजे का असल मकसद इंसान को अपनी ख्वाहिशों पर काबू करना है। रोजे के दौरान हिदायत है कि आंख, नाक, कान, हाथ व शरीर के हर अंग पर काबू रखा जाए। हर रोजेदार इंसान को रोजे की कद्र करनी चाहिए। अल्लाह ने रोजे को इंसान के लिए एक इम्तिहान के तौर पर रखा है। जो इंसान अल्लाह के इस इम्तिहान में सफल होगा, उसे जन्नत नसीब होगी। साल के 11 महीने इंसान अपनी मर्जी से कभी भी खा पी सकता है, लेकिन रमजान के दौरान रोजेदार पर ये सब चीजें लागू नहीं होती। रोजों में सहरी के दौरान खाया-पीया जाता है, उसके बाद शाम तक खाने-पीने पर पाबंदी होती है। रोजे को अल्लाह ने इंसान के लिए एक इम्तिहान के तौर पर रखा है। इसके लिए नियम बनाए गए हैं। अल्लाह का राजी करने के लिए रोजेदार को अपना पूरा फर्ज निभाना चाहिए। जो मुसलमान अल्लाह को राजी करने के लिए पूरे तौर तरीके से रोजा रखता है और जाने-अनजाने में किए गए गुनाहों की तौबा करता है, अल्लाह उसे माफ कर देते हैं। आओ रमजान के मुबारक महीने में हम भी नेकियां कमाएं। मुसलमानों के लिए रमजान का महीना मानों किसी पर्व से कम नहीं होता। पूरे महीने रोजा रखने वाले मुसलमान भाई पूरी ईमानदारी व शिद्दत के साथ अल्लाह का इस धरती पर जन्म देने के लिए शुक्रिया अता करते है।रमजान पर्व की समस्त रोजेदारों प्रिय भाइयों और मित्रों को हार्दिक बधाई