Saturday 18 January 2014

विपक्ष से दो दो हाथ करने के मूड में हैं राहुल गांधी

 एआईसीसी की बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  राहुल गांधी के ओजस्वी और आक्रामक भाषण ने कांग्रेस जनों को उत्साह से लबरेज कर दिया है , वहीं यह भी स्पष्ट हो गया है कि श्री गांधी विपक्ष खासकर भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी द्वारा किये जा रहे दुष्प्रचार की पृष्ठभूमि में पूरी तरह दो दो हाथ करने के मूड में हैं, यही कारण है कि बैठक में राहुल गांधी खूब गरजे और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की।  नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में राहुल ने यूपीए सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर भी खूब हमले किए। भाषण के दौरान राहुल ने कहा कि कांग्रेस को कोई मिटा नहीं सकता। मालूम हो कि कांग्रेस की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनावों के लिए 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा दिया है। भाषण के दौरान राहुल ने कहा, 'कई साल पहले राजीव जी ने और यहां बैठे हमारे वरिष्ठ नेताओं ने देश को इक्कसवीं सदी में ले जाने की बात कही थी और उसकी नींव आपने रखी थी। आपने और राजीव जी ने मिलकर वह नहीं रखी थी... और वही काम हमें कांग्रेस पार्टी में करना है। कांग्रेस पार्टी को इक्कसवीं सदी में पहुंचाना है। इक्कीसवीं सदी में पहुंचाने का मतलब क्या है। यहां जो कार्यकर्ता बैठा जो खून पसीना देता है... आपसे मैं यह कहना चाहता हूं। इक्कीसवीं सदी में पहुंचाने का मतलब यह है कि जो आपकी आवाज है वह पार्टी में अच्छी तरह जोरों से सुनाई दे... जोरों से सुनाई दे।'
उन्होंने कहा, 'जब हम निर्णय लेते हैं तो आपकी आवाज सुनाई दे। मैं आपसे मिलता हूं और आम मुझसे कहते हैं कि भई चुनाव का समय आता है पांच साल के लिए हम करते हैं... चुनाव से तीन महीने पहले ढोलक बजना शुरू होता है और दूसरी पार्टियों से लोग आ जाते हैं। ढोलक बजता है और दूसरी पार्टी से लोग आ जाते हैं और कहते हैं भैया हमें चुनाव लड़ाओ। इस बात को बदलना है। अगर हमारा कार्यकर्ता लड़ रहा है तो चुनाव कौन लड़ेगा। कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा।
राहुल ने कार्यकर्ताओं से कहा, 'चुनाव कौन लड़ेगा? चुनाव वह लड़ेगा जिसके दिल में कांग्रेस पार्टी का इतिहास और कांग्रेस पार्टी है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कांग्रेस पार्टी के दरवाजे बंद करने हैं। कांग्रेस पार्टी के दरवाजे खोलने हैं। युवाओं, नई पीढ़ी, नई सोच को अंदर लाना है। मगर आगे जो चुनाव लड़ेगा उसके दिल में उसके दिमाग में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा होनी चाहिए। उसके खून में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा होनी चाहिए। सरकार चलाते हैं हम। जब भी मैं प्रदेशों में जाता हूं कार्यकर्ता हमसे कहते हैं राहुल जी हमारी सरकार है, लेकिन जिस प्रकार से हमारी सुनवाई होनी चाहिए वह नहीं हो रही है। इक्कसवीं सदी की पार्टी का मतलब कार्यकर्ता की सरकार में सुनवाई होगी।' राहुल गांधी के तेवरों से साफ़ हो गया है कि वह कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन से हतोत्साहित नहीं है और वह यूपीए सरकार और कांग्रेस पार्टी के लोकहितैषी नीतियों के आधार पर आगामी लोकसभा चुनाव पूरी आक्रामकता के साथ लड़ेंगे।

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