Friday, 31 October 2014
Monday, 20 October 2014
Saturday, 18 October 2014
Thursday, 16 October 2014
Saturday, 11 October 2014
उत्तर प्रदेश में नए सियासी ध्रुवीकरण की कवायद
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नए सियासी ध्रुवीकरण की कवायद
वेस्ट की धरती पर तीसरे मोर्चे की पटकथा लिखने की तैयारी हो गई है। माना जा रहा है कि रालोद की रैली नए सियासी ध्रुवीकरण की इबारत लिखेगी। रैली का सतही एजेंडा किसानों के गांधी चौ.चरण
+सिंह के नाम पर नई दिल्ली में स्मारक बनाने की कवायद है, लेकिन असल मकसद, भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लामबंदी है। कैराना उपचुनाव से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनावों तक असर बनाने की व्यूह रचना हुई है। दरअसल, लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में विपक्षी दलों की डगमगाई कश्ती अब तक किनारा ढूंढ रही है। वेस्ट यूपी में रालोद का किला ढहा। कांग्रेस एवं सपा पैवेलियन में बैठे रह गए और भाजपा ने अकेले मैदान मार लिया। बदली परिस्थितियों में देश की सियासत अब कई कदम आगे आ चुकी है। मोदी फैक्टर ने देशभर में तमाम सियासी दुश्मनों को एक मंच पर ला दिया। बिहार उपचुनावों में इसका फायदा देखकर तीसरे मोर्चे की कल्पना तेज हुई है। छोटे चौधरी राजनीतिक नब्ज को बखूबी समझने के लिए जाने जाते हैं, इसीलिए उन्होंने लोकसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस के साथ मिलकर न सिर्फ बड़ी रैली की, बल्कि जाट आरक्षण का ब्रम्हास्त्र भी छोड़ा। मोदी फैक्टर ने रालोद और कांग्रेस की रणनीति को आसानी से भेद लिया, किंतु चौ. अजित सिंह के तरकश से अब नया तीर निकला है। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह किसानों के गांधी हैं, ऐसे में उनके नाम पर रालोद ने तमाम बेरोजगार सूरमाओं को लामबंद करने की सटीक रणनीति बनाई है। नई दिल्ली में 12-तुगलक रोड में किसानों की गहरी आस्था को देखते हुए अब रालोद अपने जनाधार को नए सिरे से वार्मअप कर रही है। गौरतलब है कि केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार ने कई दिग्गजों को बेरोजगार बना दिया है। भाजपा के पूर्व सहयोगी शरद यादव, नीतिश कुमार और चौ. अजित सिंह अब भगवा खेमे पर जुबानी हमला बोलेंगे। वह चौ. चरण सिंह की शख्सियत के साथ अन्याय का आरोप लगाते हुए तीसरे ध्रुव की गहराई तलाशेंगे। लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में तकरीबन अप्रासंगिक बन चुके पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी तीसरे मोर्चे की बुनियाद को धार देंगे। समाजवाद के नाम पर सपा भी शिवपाल यादव भी दहाड़ेंगे। दअसल, यह रैली के बहाने किसानों के मसीहा बनने की कोशिश है। फिलवक्त किसानों के लिए कुछ भी करने का जज्बा दिखाया जा रहा है, लेकिन असली निशाना भाजपा की घुसपैठ रोकना है। प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की शिकस्त ने भी विपक्षियों के मनोबल को बढ़ाया है।
Friday, 3 October 2014
Subscribe to:
Posts (Atom)