प्रदेश में सुशासन की स्थापना का सब्जबाग दिखाकर सत्ता पर काबिज होने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूदा समय में वास्तव में राजनीतिक आतंकवाद के सूत्रधार बने हुए हैं. राजधर्म की पवित्र और लोकतंत्र आधारित अवधारणा का घोर उल्लंघन करके राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित करने के लिए जहां क़ानूनी प्रावधानों का भरपूर दुरपयोग किया जा रहा है वहीँ किसानों में निरंतर पैदा हो रही गरीबी और कानून की मार का खौफ उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा है. प्रदेश का कोई मंत्री खुद को सफेदपोश गुंडा बता रहा है तो कोई खुद को ही डकैतों के लिए आतंक का पर्याय बता रहा है. प्रदेश में निर्दोष युवाओं को फर्जी मुकदमों में फ़साने की चर्चाएँ भी लगातार सुनने को मिल रही हैं. प्रदेश में कानून के राज की जगह लगता है दुशासन ने ले ली है. लोगों के सब्र की इम्तहान तो तब हो गयी जब पिछले दिनों राजधानी भोपाल में पानी की जर्जर टंकियों को धरासाई किये जाने के नाम पर घातक विष्फोटक डैनामाइड का इस्तेमाल किया गया. सर्वविदित है की इस घटक विष्फोटक का उपयोग पहाड़ों को तोड़ने के लिए किया जाता है. साथ ही विष्फोट से पहले काफी सावधानी बरतने के साथ साथ आसपास के इलाकों को भी ख़ाली कराया जाता है. लेकिन भोपाल में इस विष्फोटक का इस्तेमाल रिहायसी इलाकों में किया गया तथा टंकियों में विष्फोट से पहले लोगों को सचेत भी नहीं किया गया. जिसका नतीजा यह हुआ की करीब पचास लोग टंकी तोड़ने के उक्त विष्फोट में घायल हो गए. यह तो अच्छा हुआ की किसी की मौत नहीं हुई वरना भोपाल में हुए इस काण्ड को टंकी काण्ड के नाम से सदियों तक याद रखा जाता. मानव जनित इस त्रासदी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान . नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर. जिले के प्रभारी मंत्री. महापौर और विष्फोट विशेषग्य बराबर के जिमेदार हैं क्यों की हादसे के नतीजे यह सिद्ध करते हैं की यह विष्फोट पानी टंकी तोड़ने के लिए नहीं बल्कि लोगों को मौत के घाट उतारने के लिए किया गया. प्रदेश में चल रहा यह अघोषित राजनीतिक आतंकवाद उपरोक्त जिम्मेदार लोगों पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
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