सिर्फ राजनीतिक ड्रामा है यूपीए का विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेना सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक ड्रामा है. क्यों कि अगर वास्तव में उनके अन्दर केंद्र सरकार को हिलाने का नैतिक साहस होता तो वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने तेवर कड़े करते हुए कहा है कि समर्थन वापसी के मुद्दों से वह मुकरने के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि कांग्रेस ने कहा कि सरकार के सामने कोई खतरा नहीं है।
समर्थन वापसी की घोषणा के एक दिन बाद ममता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रमुख घटक कांग्रेस पर प्रहार करना जारी रखा। उन्होंने कहा कि जो भी हो हम अपने निर्णय से नहीं डिगेंगे। जैसा बताया गया है हमारे मंत्री इस्तीफा दे देंगे।ममता ने केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के उस दावे को झूठा करार दिया जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस ने आर्थिक सुधार के मुद्दे पर उनसे सम्पर्क साधने की कोशिश की थी। ममता ने कहा कि मैं यह बात साफ कर देना चाहती हूं कि आर्थिक सुधार के विषय में मुझसे सम्पर्क करने के लिए कांग्रेस ने कोई कोशिश नहीं की। निहित स्वार्थों के कारण कुछ टीवी चैनल अफवाह एवं दुष्प्रचार फैला रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर नाटक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली थी। जबकि मैंने अपने फैसले के विषय में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पहले ही बता दिया था।केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि हमने चार दिन पहले ममता से बातचीत की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री ने उनसे बातचीत का प्रयास किया था। उनके लिए संदेश छोड़ा गया था, ताकि वह जवाब दे सकें.. हमें कोई जवाब नहीं मिला। सुधार के निर्णय काफी विचार विमर्श के बाद लिए गए हैं।तृणमूल प्रमुख ने बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर सरकार पर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पर फैसला सहमति से होना चाहिए। ममता ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया। केंद्र सरकार में शामिल उनके मंत्री शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। यद्यपि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा कि संप्रग सरकार के सामने कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जरूरत के समय आवश्यक संख्या का प्रबंध कर लेती है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि केंद्र की संप्रग सरकार डीजल मूल्य वृद्धि और खुदरा क्षेत्र में एफडीआई जैसे अपने फैसले वापस ले ले या इस्तीफा दे दे। माकपा महासचिव ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का संसद के बहुमत ने विरोध किया है। यदि सरकार ये फैसले वापस नहीं लेती है तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। तृणमूल के सांसद कुणाल घोष ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की और कहा कि उन्हें अपनी आर्थिक नीतियों के लिए ताजा जनादेश लेना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव ने उम्मीद जताई कि संप्रग सरकार इस संकट से निपट लेगी। ममता के निर्णय से कांग्रेस की मायावती एवं मुलायम सिंह यादव पर निर्भरता बढ़ गई है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि कांग्रेस को अहंकार से बड़ा नुकसान होगा। मुलायम ने पत्रकारों से कहा कि सरकार को समझदार होना चाहिए क्योंकि डीजल मूल्यों में वृद्धि से आम आदमी परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार के रुखे बर्ताव का प्रभाव अच्छा नहीं होगा। इसकी वजह से कांग्रेस कमजोर होगी। सपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी डीजल मूल्य वृद्धि एवं एफडीआई के मुद्दे पर आयोजित भारत बंद में शामिल होगी। इस बंद को संप्रग के घटक द्रविड मुनेत्र कड़गम का भी समर्थन हासिल है।केंद्र सरकार को अन्दर और बाहर से समर्थन दे रहे दल सिर्फ सियासी नाटक कर रहे है. हालात देखकर तो यही लगता है कि उन्हें लोकहितों की कोई चिंता नहीं है.
समर्थन वापसी की घोषणा के एक दिन बाद ममता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रमुख घटक कांग्रेस पर प्रहार करना जारी रखा। उन्होंने कहा कि जो भी हो हम अपने निर्णय से नहीं डिगेंगे। जैसा बताया गया है हमारे मंत्री इस्तीफा दे देंगे।ममता ने केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के उस दावे को झूठा करार दिया जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस ने आर्थिक सुधार के मुद्दे पर उनसे सम्पर्क साधने की कोशिश की थी। ममता ने कहा कि मैं यह बात साफ कर देना चाहती हूं कि आर्थिक सुधार के विषय में मुझसे सम्पर्क करने के लिए कांग्रेस ने कोई कोशिश नहीं की। निहित स्वार्थों के कारण कुछ टीवी चैनल अफवाह एवं दुष्प्रचार फैला रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर नाटक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली थी। जबकि मैंने अपने फैसले के विषय में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पहले ही बता दिया था।केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि हमने चार दिन पहले ममता से बातचीत की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री ने उनसे बातचीत का प्रयास किया था। उनके लिए संदेश छोड़ा गया था, ताकि वह जवाब दे सकें.. हमें कोई जवाब नहीं मिला। सुधार के निर्णय काफी विचार विमर्श के बाद लिए गए हैं।तृणमूल प्रमुख ने बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर सरकार पर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पर फैसला सहमति से होना चाहिए। ममता ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया। केंद्र सरकार में शामिल उनके मंत्री शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। यद्यपि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा कि संप्रग सरकार के सामने कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जरूरत के समय आवश्यक संख्या का प्रबंध कर लेती है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि केंद्र की संप्रग सरकार डीजल मूल्य वृद्धि और खुदरा क्षेत्र में एफडीआई जैसे अपने फैसले वापस ले ले या इस्तीफा दे दे। माकपा महासचिव ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का संसद के बहुमत ने विरोध किया है। यदि सरकार ये फैसले वापस नहीं लेती है तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। तृणमूल के सांसद कुणाल घोष ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की और कहा कि उन्हें अपनी आर्थिक नीतियों के लिए ताजा जनादेश लेना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू यादव ने उम्मीद जताई कि संप्रग सरकार इस संकट से निपट लेगी। ममता के निर्णय से कांग्रेस की मायावती एवं मुलायम सिंह यादव पर निर्भरता बढ़ गई है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि कांग्रेस को अहंकार से बड़ा नुकसान होगा। मुलायम ने पत्रकारों से कहा कि सरकार को समझदार होना चाहिए क्योंकि डीजल मूल्यों में वृद्धि से आम आदमी परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार के रुखे बर्ताव का प्रभाव अच्छा नहीं होगा। इसकी वजह से कांग्रेस कमजोर होगी। सपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी डीजल मूल्य वृद्धि एवं एफडीआई के मुद्दे पर आयोजित भारत बंद में शामिल होगी। इस बंद को संप्रग के घटक द्रविड मुनेत्र कड़गम का भी समर्थन हासिल है।केंद्र सरकार को अन्दर और बाहर से समर्थन दे रहे दल सिर्फ सियासी नाटक कर रहे है. हालात देखकर तो यही लगता है कि उन्हें लोकहितों की कोई चिंता नहीं है.
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