Monday 24 September 2012

मनमोहन ने तोड़ी लोगों की उम्मीद

देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है. लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में खासकर उनके दुसरे कार्यकाल में देश का आर्थिक विकास अवरुद्ध होने के साथ साथ देश में चारों ओर मंहगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है. उससे मनमोहन के नेतृत्व क्षमता और योग्यता पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं. और मनमोहन सिंह ने अव्यवस्था की दो पाटों के बीच जनभावनाओं को जमकर तोडा है का हाथ गरीब के साथ का नारा देने वाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बारे में ऐसा लगता है कि वह गरीबों को ही मिटने पर आमादा है. तेल कंपनियों को फायदा पहुचाने के लिए डीजल और पेट्रोल की कीमतें कांग्रेसलगातार बढ़ाना और रसोई गैस को आम आदमी की पहुँच से ही बाहर कर देना यह सिद्ध करता है कि सरकार और प्रधानमंत्री को लोकतान्त्रिक मूल्यों और राष्ट्र धर्म की ज़रा भी परवाह नहीं है. देश का औद्योगिक जगत भी खुलकर यह कह रहा है कि सरकार की अदुर्दार्शिता और निर्णय लेने में दृढ इक्षा शक्ति की कमी के चलते देश का आर्थिक विकास ठप्प हो चूका है. फिर भी मनमोहन सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी है. जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. 

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