सम्पूर्ण ब्रह्मांड
सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, जल, अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधें, पर्वत,
सागर, पशु-पक्षी, देव, दनुज, मनुज, नाग, किंन्नर, गधर्व, सदैव प्राण शक्ति व
रक्षा शक्ति की इच्छा से चलायमान हैं। मानव सभ्यता का उदय भी शक्ति की इच्छा से हुआ। उसे कहीं न कहीं प्राण व रक्षा शक्ति के अस्तित्व का एहसास होता रहा है। जब
महिषासुरादि दैत्यों के अत्याचार
से भू व देव लोक व्याकुल हो उठे तो परम
पिता परमेश्वर ने आदि शक्ति मां जगदम्बा को विश्व कल्याण के लिए प्रेरित
किया।
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