Friday 26 September 2014

 नवरात्र में गायत्री आराधना का महत्व

नवरात्र के नौ दिनों में गायत्री पूजा का महत्व
भारतीय पर्वों और त्यौहारों में नवरात्रि पर्व का अपना अलग महत्त्व है। यह वर्ष में दो बार आता है। दुर्गावतरण की पावन कथा भी इसके साथ जुड़ी हुई है। देवत्व के संयोग से असुर निकंदिनी महाशक्ति के उद्भव का महत्त्व हर युग में रहा है। युग की भयावह समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए युग शक्ति के प्रकट होने की कामना हर किसी के मन में उठती है अधिकांश लोग व्रत, उपवास एवं अनुष्ठान करते हैं। प्रतीक्षा रहती है कि कब नवरात्र आये और हम साधना, अनुष्ठान के माध्यम से मनोवांछित फल प्राप्त कर सकें नवरात्र के नौ दिन गायत्री साधना के लिए भी अधिक उपयुक्त है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर 24 हजार मंत्रों के जप का छोटा सा अनुष्ठान बड़ी साधना के समान परम हितकर सिद्ध होता है। कष्ट निवारण, कामना पूर्ति एवं आत्म बल बढ़ाने के साथ ही साथ यह साधना सद्विवेक अर्थात् प्रज्ञा का जागरण करती है।

गायत्री कामधेनु है। जो नवरात्रि में उसकी पूजा-उपासना, आराधना करता है, माता प्रत्यक्ष उसे अमृतोपम दुग्धपान कराती रहती है। अज्ञान को दूर करके ज्ञान का प्रकाश प्रदान करती है।

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