Sunday 28 September 2014

मां का पांचवां स्वरूप: स्कंदमाता

मां दुर्गा की पांचवीं शक्ति स्कंदमाता हैं। भगवान स्कंद की माता होने के कारण ही उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। मान्यता है कि सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण उनकी मनोहर छवि पूरे ब्रह्मांड में प्रकाशमान होती है। इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। जिस प्रकार सारे रंग मिलकर शुभ्र [श्वेत] रंग बनता है, इसी तरह इनका ध्यान जीवन में हर प्रकार की परिस्थितियों को स्वीकार करके अपने भीतर आत्मबल का तेज उत्पन्न करने की प्रेरणा देता है। भगवान स्कंद बाल रूप में इन देवी के गोद में बैठे हैं, इसलिए ये देवी ममता की मूर्ति हैं और प्रेरणा देती हैं कि मन के कोमल भावों की शक्ति को भी अपने अंदर बढ़ाना चाहिए। मां सिंह पर प
द्मासन में विराजमान हैं। यह स्वरूप हमें आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। मां का शुभ्र वर्ण इस बात का द्योतक है कि हमें अहंकार, लोभ व जड़ता को छोड़कर आात्मोत्थान के लिए सतत प्रयासरत रहना है।

ध्यान मंत्र

सिंहासनगता नित्य पद्मश्रिकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

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