Tuesday 29 April 2014

बारू के खुलासे को कांग्रेस ने किया निष्प्रभावी

सुधांशु द्विवेदी

लेखक प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक हैं

देश के वर्तमान लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी मूल्यहीनता को वर्षों तक याद किया जायेगा। देश का जनमानस इस बात से आश्चर्यचकित एवं हतप्रभ है कि लोकसभा चुनाव में स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों एवं मान्य परंपराओं का स्थान पूरी तरह से असहिष्णुता, उच्छंखलता, अराजकता तथा अवसरवादिता ने ले लिया है। जहां राजनीतिक दलों एवं उनके धुरंधरों द्वारा स्तरहीन आरोप-प्रत्यरोप, चरित्र हनन एवं ओछे बयानों के माध्यम से राजनीतिक मूल्यों को धूलधूसर करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण किया जा रहा है। वहीं प्रभावशाली गैर राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा भी खुद को राजनीतिक दंगल में शामिल करते हुए पूर्वाग्रह एवं पक्षपात से प्रेरित होकर चुनावी मौसम में चलाए जा रहे शब्दबाण सभ्य समाज एवं राष्ट्रीय सरोकारों को बेजार कर रहे हैं वहीं उनके खुद के लिये भी शर्मिंदगी व मुश्किल के हालात निर्मित हो रहे हैं, ऐसे में जनता-जनार्दन को लगता है कि घात-प्रतिघात की बढ़ती प्रवृत्ति मानवीय मूल्यों पर भारी पड़ रही है तथा देश के राजनीतिक क्षत्रप सिर्फ सत्ता व स्वार्थ आधारित राजनीति को ही अपने राजनीतिक उद्देश्यों का पैमाना समझ बैठे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब में किये गये खुलासे के संदर्भ में चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि सोनिया को कभी भी सरकारी फाइलें नहीं दिखाई गईं। पटेल ने बारू की किताब में लिखी इस बात को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया कि सोनिया को सरकारी फाइलें दिखाई जाती थीं। पटेल ने कहा कि मैंने किताब पढ़ी नहीं है पर दोस्तों से मैंने जो कुछ भी सुना है उस पर मैं यह कह सकता हूं कि इस तरह की बातें बेबुनियाद हैं। जब आप कहते हैं कि सभी अहम सरकारी फाइलें उनके पास भेजी जाती थीं तो यह सब बेबुनियाद है।  पटेल ने यह भी कहा है कि मैं कोर ग्रुप कमिटी का सदस्य हूं। यदि कैबिनेट का कोई सदस्य कहता है कि सोनिया गांधी को फाइलें दिखाई गईं तो मैं सार्वजनिक जीवन छोड़ दूंगा। उल्लेखनीय है कि अपनी किताब 'एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर - दि मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंहÓ में बारू ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी प्रधानमंत्री कार्यालय के फैसलों पर सोनिया गांधी से 'निर्देशÓ लेते थे। भाजपा नेताओं द्वारा कांग्रेस शासनकाल के घोटालों की जांच करने और एक जवाबदेही आयोग के गठन संबंधी बयान दिए जाने पर भी पटेल ने कहा कि उन्हें करने दीजिए। हम किसी से डरते नहीं हैं। हम पहले भी इसका सामना कर चुके हैं। वे तो इस हद तक चले गए थे कि उन्होंने प्राथमिकी में राजीव गांधी का भी नाम डाल दिया था। पटेल ने यह भी कहा कि पहली बात तो यह कि वे सत्ता में नहीं आने वाले और यदि वे सत्ता में आ भी गए तो हम डरते नहीं हैं क्योंकि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। कांग्रेस ने अपनी अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के खिलाफ भाजपा के भ्रष्टाचार के आरोपों को यह कहते हुए नकार दिया है कि यह विपक्षी दल की हताशापूर्ण कार्रवाई है क्योंकि वह रायबरेली और अमेठी में प्रियंका गांधी के प्रचार अभियान से सहमी हुई है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने राबर्ट वाड्रा के कथित जमीन सौदों पर रविवार को एक वीडियो एवं पुस्तिका जारी की थी। वाड्रा के खिलाफ बीजेपी के अभियान पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि वाड्रा को बदनाम करने की तमाम कोशिशों के बावजूद सोनिया गांधी के दामाद के खिलाफ कुछ भी नहीं पाया गया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने का कहना है कि भाजपा ने पांच महीने तक राजस्थान में बहुत कुछ खंगाला लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला। इस संबंध में तीन जनहित याचिका भी खारिज हो चुकी हैं।  देश के राजनीतिक जगत ने शायद लोकतांत्रिक मूल्यों के छिन्न भिन्न करने के इरादे से ही काम करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि निर्वाचन आयोग की सजगता एवं संवेदनशीलता के बावजूद राजनीतिक क्षत्रपों व राजनीतिक सोच रखने वाले गैर राजनीतिक प्रभावशाली लोगों की बदजुबानी थमने का नाम नहीं ले रही है। बात सिर्फ  यहीं खत्म नहीं होती,बयानबाजी के साथ-साथ गाली गलौज तथा मारपीट की नौबत भी सामने आ जाती है। अभी विगत दिनों ही जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय जनता पार्टी में हाल ही में शामिल हुए सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा प्रियंका गांधी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर काफी विवाद मचा था साथ ही भाजपा नेता अरुण जेटली भी गांधी-नेहरू परिवार पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाकार विरोधियों के निशाने पर रहे हैं। उधर जेटली खुद भी पंजाब की अमृतसर लोकसभा क्षेत्र में बाहरी प्रत्याशी होने तथा लोकहितैषी मुद्दों को नजरअंदाज करने के आरोपों से जूझ रहे हैं।  अभी पिछले दिनों ही आम आदमी पार्टी के नेता अरङ्क्षवद केजरीवाल के सहयोगी व दिल्ली के पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती पर वाराणसी में चुनाव प्रचार के दौरान हमला कर दिया गया। सोमनाथ की पिटाई हुई तथा उनकी गाड़ी में तोडफ़ोड़ की गई। सोमनाथ पर हमले के लिये अरविंद केजरीवाल ने सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। केजरीवाल का कहना है कि उनकी पार्टी की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता को भारतीय जनता पार्टी पचा नहीं पा रही है तथा वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से उनकी संभावित जीत से बौखलाई भारतीय जनता पार्टी के लोग उन पर व उनके सहयोगियों पर हमला कर रहे हैं। इससे पहले खुद पर हुए हमलों के लिये भी केजरीवाल ने विरोधियों की सोची समझी साजिश को जिम्मेदार बताया था। केजरीवाल का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के लोग भले ही उन पर हमला करें लेकिन वह शांति का रास्ता नहीं छोड़ेंगे तथा उनका हिंसा रहित राजनीतिक अभियान जारी रहेगा। यहां उल्लेखनीय है कि राजनीतिक क्षत्रपों द्वारा यदि सुविचारित राजनीतिक अभियान के माध्यम से अपनी और अपनी पार्टी की चुनावी जीत सुनिश्चित करने की दिशा में निर्णायक प्रयासों को अंजाम दिया जाता तो किसी को कोई ऐतराज नहीं होता लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव में तो स्थिति पूरी तरह से उलट दिखाई दे रही है, जहां अपना हित पूरा हो या न हो, विरोधियों को क्षति पहुंचाने के लिये तमाम स्तरीय व गैरस्तरीय तरीकों का सहारा लिया जा रहा है, जो जनमानस की नाराजगी व चुनावी व्यवस्था पर से उनका मोहभंग होने का भी कारण बन सकता है।

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