Thursday 6 March 2014

विरोधियों की साजिश ही बढ़ाएगी केजरीवाल का ग्राफ

सुधांशु द्विवेदी

लेखक प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक हैं

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आमू आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिये उनके विरोधियों द्वारा रची जा रही साजिश ही राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कामयाबी का आधार बन जाये तो कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगी। 5 मार्च को केजरीवाल अपने सहयोगियों के साथ गुजरात दौरे पर थे। चूंकि अब तो लोकसभा चुनाव के लिये आचार संहिता भी लागू हो चुकी है तो फिर राजनीतिक दलों के नेताओं का चुनावी दौरा स्वाभाविक है। फिर केजरीवाल तो गुजरात में किसी चुनावी दौरे पर भी नहीं थे, वह तो राज्य के विकास एवं जनकल्याण की असलियत का पता लगाने गुजरात पहुंचे थे। गुजरात राज्य की इस यात्रा के दौरान उन्होंने किसी भी तरह से नियम कायदों का उल्लंघन भी नहीं किया। इसके बावजूद उन्हें गुजरात पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर आधे घंटे तक पुलिस स्टेशन में रखा गया। केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे पुलिस अधिकारियों ने यह तर्क दिया कि उन्हें सूचना मिली थी कि केजरीवाल ने चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन किया है लेकिन बाद में पड़ताल के बाद उन्हीं पुलिस अधिकारियों द्वारा इस बात की भी पुष्टि की गई कि केजरीवाल ने किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है। उधर केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई इधर दिल्ली में इसकी सूचना मिलते ही आम आदमी पार्टी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जमकर बवाल मच गया। अशांति एवं अराजकता फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है तो कुछ नेताओं की गिरफ्तारी होने की भी संभावना है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल को गुजरात में किसके आदेश पर हिरासत में लिया गया। देश के संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के आधार पर देश का कोई भी नागरिक देश के किसी भी राज्य की यात्रा कर सकता है फिर अरविंद केजरीवाल तो एक राजनीतिक दल के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री हैं, वैसे भी राजनीतिक दृष्टि से भी देश के हर राज्य का राष्ट्रव्यापी दौरा उनके लिये स्वाभाविक है, फिर भी उन्हें हिरासत में लिया जाना यह सिद्ध करता है कि केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता का खौफ उनके राजनीतिक विरोधियों में निरंतर कायम है तथा शायद केजरीवाल की राह रोकने के लिये स्तरहीन हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। बेहतर तो यह होता कि गुजरात सरकार एवं पुलिस अधिकारियों ने लोकतांत्रिक गरिमा के अनुरूप केजरीवाल को राज्य का निर्विध्न दौरा करने दिया होता तथा केजरीवाल की राह रोकने की कोशिश तभी की जाती जब वह किसी भी तरह से नियम-कायदों और चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करते पाये जाते। जहां तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बवाल मचने का सवाल है तो इसके लिये भाजपा को भी कम जिम्मेदार नहीं माना जा सकता क्यों कि गुजरात में तो भाजपा की ही सरकार है तथा केजरीवाल को हिरासत में लिये जाने के मामले में प्रशासनिक कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप ही लोकतांत्रिक मूल्यों और सरोकारों पर भारी पड़ गया है। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी को और अधिक आक्रामक होने का मौका मिल गया है तथा दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली राजनीतिक कामयाबी और उसके बाद भी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक यात्रा में संघर्ष और जद्दोजहद का ही प्रमुख योगदान रहा है तथा जनता-जनार्दन द्वारा आम आदमी पार्टी एवं अरविंद केजरीवाल को जो भी प्रतिसाद मिला है वह उनके संघर्ष की बदौलत ही मिला है। ऐसे में अब आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में गुजरात में अरङ्क्षवद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी तथा केजरीवाल को लोकप्रिय नेता बताते हुए विरोधियों द्वारा उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाकर इस मुद्दे को चुनावी माहौल में जोरदार ढंग से भुनाने की कोशिश करेगी। ऐसे में विरोधियों की साजिश ही केजरीवाल का ग्राफ बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है। वैसे भी लोकपाल के मुद्दे पर केजरीवाल द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिये जाने के घटनाक्रम को लोगों ने केजरीवाल की शहादत के रूप में ही देखा है। ऐसा लगता है कि दिल्लीवासियों में केजरीवाल की यह छवि पूरी तरह से रच-बस गई है तथा दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी अरङ्क्षवद केजरीवाल की छवि को कितना भुना पाती है यह पार्टी के रणनीतिकारों के राजनीतिक कौशल और इच्छाशक्ति पर निर्भर करेगा। साथ ही अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी द्वारा लंबे समय से यह कोशिश की जा रही है कि वह देश के लोकसभा चुनाव को नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी की जगह नरेन्द्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल बनाने में कामयाब हो जायें। अरविंद केजरीवाल तो नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिये भी तैयार हैं। पार्टी की तरफ से ऐस पुख्ता संकेत दिये जा रहे हैं कि यदि मोदी गुजरात के बाहर किसी भी अन्य राज्य की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो केजरीवाल उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतरेंगे। हालाकि राजनीतिक अराजकता को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता तथा आम आदमी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों एवं मान्य परंपराओं
के पालन के प्रति गंभीर बनें लेकिन उनके विरोधियों को भी चाहिये कि राजनीतिक साजिश का तानाबाना तैयार करने में अपना समय गंवाने की बजाय अपनी चुनावी रणनीति को पुख्ता बनाएं तथा राजनीति में रहकर भी सहिष्णु और सदाशयी बने रहें।



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