Saturday 13 October 2012

राष्ट्रवाद को मजबूत बनायें

देश में जब तक समता और समरसतामूलक सामाजिक व्यवस्था की स्थापना नहीं होगी. तब तक लोकतंत्र का अलोक जन जन तक बिखेरना संभव नहीं हो पायेगा. साथ ही यह चिरपोषित अभिलाषा भी तभी पूरी होगी जब देश में राष्ट्रवाद की आंधी आयेगी. राष्ट्रवाद एक ऐसी समग्र अवधारणा है जो देशवाशियों में राष्ट्रीयता की भावना पैदा करके उन्हें राष्ट्रहित में अपना उत्कृष्ट योगदान सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करती है. राष्ट्रवाद को परवान चढाने के लिए जातिवाद. मजहबवाद और क्षेत्रवाद के पनपने की संभावना को कुचलना ही होगा. क्यों कि यही वह जिम्मेदार कारक हैं जो लोगों में वैचारिक संकीर्णता. भेदभाव और अलगाव की भावना को बढ़ावा देते हैं. हमें यह सोचना होगा कि यदि हम आगे नहीं आएंगे तो राष्ट्रवाद का पंथ कौन अपनाएगा. जब देश फंसा हो मुश्किल में तो आगे मार्ग कौन बतलायेगा. आज देश में शिखंडियों और पाखंडियों की बढती सक्रियता देश की समरसतावादी संस्कृति को आघात पहुंचाते हुए देश की एकता और अखंडता को आघात पंहुचा रही है. क्यों कि देश में तुष्टिकरण के नाम पर एक ऐसा समूह सक्रिय है जो जाती धर्म और क्षेत्रीयता के नाम पर लोगों के बीच नफरत फ़ैलाने और विदेशियों के इशारे पर काम करने में लगा हुआ है. जिसका घातक नतीजा यह है कि देश की प्रतिष्ठा के भंजित होने के साथ साथ वैमनस्य और वर्ग संघर्ष के हालात निर्मित हो रहे हैं. ऐसे में हमें राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत रहकर अपनी सक्रियता को निरंतर कायम रखना होगा. 

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