Wednesday 3 October 2012

विदेश परस्ती की पराकाष्ठा है एफडीआई

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आमंत्रण देना पूरी तरह विदेश परस्ती की पराकाष्ठा और गुलामी का देश में पदार्पण व भारतीय बाजार को विदेशियों के हाथों में गिरवी रखने का दुस्साहसिक प्रयास है. देश हित और लोकहित की द्रष्टि से इस निर्णय की जितनी भी आलोचना की जाये फिर भी कम है. लेकिन देश की सत्ताधीशों को अपने निर्णयों पर शर्म और देश वाशियों पर रहम जो नहीं आती. बेशर्म तो रीति. नीति स्वदेशी और शुचिता का दंभ भरने वाले वह राजनीतिक नुमाइंदे भी हैं जो संसद में कोयला घोटाले पर अपनी खुद की पोल खुलने के डर से चर्चा नहीं कराना चाहते. भाजपा के कुछ बड़े नेता भी विदेशी निवेश के नाम पर देश के मध्यम वर्गीय कारोबारियों की रोजी रोटी छीनने और देश को चीन जैसे देशों के हाथों गिरवी रखने के पक्षधर हैं. इसे इनकी वैचारिक वेश्यावृत्ति नहीं तो और क्या कहेंगे कि एक तरफ तो वह भारत माता और भारतीयों की सम्रद्धि गौरव और वैभव बढाने की बात करते हैं वही उनको देश बेचने पर भी ऐतराज नहीं है. अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने एक बार फिर पार्टीलाइन से इतर जाते हुए बयान दिया है कि देश के सर्वागीण विकास के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बहुत जरूरी है। वर्ष 2014 के आम चुनाव के मद्देनजर खुद को सक्रिय करने में जुटी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं से संगठन को मजबूत करने के लिए भाषणबाजी से बचते हुए काम पर ध्यान देने की नसीहत दी है गडकरी का यह बयान भाजपा को कटघरे में खडा कर सकता है. बसर्ते की देशवासी भाजपा की करनी और कथनी में फर्क समझने का प्रयास करें . हलाकि लोकतंत्र में अगर जनता ही जनार्दन है तो फिर जनता की जागरूकता पर तो कोई संदेह ही नहीं है. और उम्मीद की जाती है कि गडकरी के इस बयान की भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.  । पार्टी मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा कि भाजपा में दो तरह के नेता हैं। एक वे जो काम करते हैं और दूसरे जो सिर्फ बयानबाजी करते हैं। गडकरी ने कहा कि सिर्फ बयानबाजी करने वाले पार्टी नेता काम पर ध्यान दें। मुझे लगता है कि दूसरों को नसीहत देने वाले गडकरी आज तक पार्टी हित में खुद कोई बड़ा काम नहीं कर पाए. पराक्रम तो पहले से ही नहीं था . परिक्रमा करके पद हथिया लिया और अब अपनी भी एक दूकान सजा ली .हाल में हरियाणा के सूरजकुंड में हुए पार्टी अधिवेशन में गडकरी ने भाजपा की प्रगति के लिए चापलूसी से बचते हुए टीम की तरह काम करने को कहा था. गडकरी खुद यह बताएं कि महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले और कोल ब्लाक आवंटन में उनने कितने की दलाली खाई । उन्होंने कहा, 'भाजपा थोक पार्टी या व्यापारिक प्रतिष्ठान नहीं है। पार्टी सदस्यों को युवा नेताओं के पैर छूने से बचना चाहिए जब कि गडकरी खुद दवा माफिया रामदेव के पैर पड़ते हैं. अब देखिये भाजपा का हाल कि रामलला की शरण छोड़कर भाजपा अब रामदेव की शरण में है. । भारतीय उद्योगों की स्थिति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाना जरूरी है।गडकरी की यह सोच स्वदेश और स्वदेशी दोनों को नेस्तनाबूत करने वाली है.

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