Sunday 7 October 2012

जय राष्ट्रवाद

भारत में फलना फूलना चाहिए मानवतावाद को

लेकिन यह तभी संभव है जब मजबूत करेंगे राष्ट्रवाद को.

राष्ट्रवाद वह अद्वितीय और अतुल्य अवधारणा है जो देश की प्रतिष्ठा. एकता और अखंडता को परम वैभव तक पहुंचाएगी.

सामाजिक समरसता लाकर लोकतंत्र को वट वृक्ष बनाएगी.

राष्ट्रवाद से बड़ा कोई धर्म नहीं और मानवता से बड़ी कोई जाति नहीं. मन्त्र यह अपनाना ही होगा.
देश भक्ति की अलख जगाने आगे आना ही होगा.
भ्रष्टाचार के दानव को समूल मिटाना ही होगा.
शिखंडियों और पाखंडियों को बेनकाब बनाना ही होगा.
कोयले की दलाली खाने वालों को सबक सिखाना ही होगा.
देश का सौदा करने वाले बेशर्मों सा इठलाते हैं.
और उनसे मिलकर दलाली खाने वाले बाद में सड़कों पर चिल्लाते हैं.
आइये हम समूल मिटायें भ्रष्टाचार के दानव को.
सामाजिक सद्भाव बढाएं. मानव समझें मानव को.

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