Sunday 14 October 2012


राजनीतिक शुचिता बढ़ाने का अनूठा प्रयास 

चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि वह राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे से जुड़े कानून में संशोधन करे. चुनाव आयोग का यह सुझाव देश में राजनीतिक शुचिता बढ़ाने कि दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है. बसरते कि सरकार भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करे. क्यों कि चंदे के धंधे ने देश की राजनीति में कोढ़ जैसा लगा दिया है. और राजनीतिक दलों द्वारा मनमाने ढंग से चंदा वसूली की जाती है. यह किसी एक राजनीतिक दल की बात नहीं है. बल्कि हर राजनीतिक दल चंदे के धंधे में लगा हुआ है. यही कारण है कि इन्ही दलों द्वारा चुनाव में अनाप शनाप पैसा खर्च करके चुनावी व्यवस्था को खर्चीला बनाया जा रहा है. इन राजनीतिक दलों की ऐसी कोई बाध्यता भी निर्धारित नहीं की गयी है कि उन्हें मिलने वाले चंदे का हिसाब बताना ही पड़ेगा.  हालाकि वर्तमान में चुनाव कानून के तहत राजनीतिक दल 20 हजार रुपये से ज्यादा के चंदे की ही जानकारी चुनाव आयोग को देते हैं लेकिन फिर भी अपारदर्शिता बनी रहती है ।सच कहा जाये तो इन राजनीतिक दलों के पास ही सबसे ज्यादा काला धन है । इसी स्थिति को ध्यान में रखकर चुनाव  आयोग ने सरकार को लिखा है कि पार्टियों को विदेशी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं से मिलने वाले चंदे की घोषणा करना अनिवार्य कर दिया जाए। सरकार को इसके लिए चुनाव कानून में संशोधन करना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को लिखा है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा-29 के तहत राजनीतिक दलों को चंदे का ब्योरा देने के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले 'फॉर्म 24 ए' के प्रारूप में बदलाव किए जाएं। आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड [सीबीडीटी] से सलाह-मशविरा करने के बाद प्रारूप में किए जा सकने वाले बदलावों पर सुझाव भी दिए हैं। इसके तहत पार्टियां से नगद या चेक के जरिये विदेशी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं से मिलने वाले आर्थिक सहयोग का पूरा विवरण तलब किया जाना चाहिए। साथ ही चंदे के स्रोत और आर्थिक सहयोग से जुड़े मामलों को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया में भी संशोधन किया जाना चाहिए। चंदे की घोषणा के साथ ऑडिट रिपोर्ट लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक दल चंदे में चेक और नगद की हिस्सेदारी की भी जानकारी मुहैया कराएं। चुनाव आयोग का कहना है कि अगर किसी पार्टी को एक भी रुपया चंदे में नहीं मिला है, तो बदले हुए फॉर्म में उसकी भी जानकारी दी जाए। सरकार को चुनाव आयोग के इन सुझावों पर त्वरित अमल करना चाहिए. ताकि लोकतंत्र के प्रति लोक निष्ठां बढे और देश की चुनावी व्यवस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा कायम रह सके.

No comments:

Post a Comment