Tuesday 2 October 2012

राष्ट्रवाद अपनाएँ. देश का गौरव बढ़ाएं.

सन्दर्भ विशेष

सुधांशु द्विवेदी

देश में आज राष्ट्रवाद को मजबूत  बनाने की नितांत जरुरत है. क्यों कि सुविधाभोगी और सहूलियतवादी लोग देश की राजनीतिक संभावनाओं का इस्तेमाल करके अपना राजनीतिक और आर्थिक हित तो पूरा कर सकते हैं. लेकिन उनकी यह आत्मकेंद्रित सोच देश का बेडा गर्क कर रही है. जिधर भी देखो उधर घपला और घोटाला है. देश के जय चंदों का हाथ कोयले की दलाली में काला है. लोग गाँधी की जयंती और गांधीवाद पर सवाल उठाते है. और खुद जयंत कौए की भूमिका निभाते हैं. वह जयंत कौआ जो भारतीय लोकतंत्र को नोचने में लगा है. झूठ जिसकी पहचान और दगा ही जिसका सगा है. आज देश और लोकतंत्र को जयंत कौओं से बचाना है. देश हित में हमको पुरुषार्थ और परमार्थ दिखाना है. एक ऐसी सकारात्मक सोच जो जात पांत. मजहब और क्षेत्रवाद से ऊपर हो. राष्ट्र और राष्ट्रीयता ही जिसके लिए सर्वोपरि हो. देश के जो जय चन्द देश भक्ति का ढोंग करते हैं. जो जनता को गुमराह करने सबसे ज्यादा उछलते हैं. देश के ऐसे गद्दारों को अब सबक सिखाना ही होगा. झूठों को मक्कारों को अब गर्त में मिलाना ही होगा. वो ऐसे जैचंद जो आतंकवाद. नक्सलवाद. वैचारिक वेश्यावृत्ति और विदेश परस्ती के पोषक हैं. देश के गद्दार और लोकतंत्र के विदूषक हैं. इन देश द्रोहियों को अब धूल चटाना ही होगा. भारत माँ का मान बढाने आगे आना ही होगा.

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