Saturday, 20 October 2012

मनमोहन जी. तकनीक नहीं नैतिकता से रुकेगी बेईमानी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आधार कार्ड के सन्दर्भ में यह कहना कि अब तकनीक के माध्यम से बेईमानी रुकेगी. यह सही नहीं लगता क्यों कि कोई भी तकनीक जब तक नैतिकता के धरातल पर आधारित नहीं होगी तब तक वह कोई चमत्कारिक नतीजा नहीं दिखा सकती. देश में जिस तरह भ्रष्टाचार को उपरी स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है उससे निचले स्तर के भ्रष्टाचार को ख़त्म करके ईमानदारी को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता . देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के लिए भले ही सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाये लेकिन इस दुरावस्था पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी तो आखिर उन्ही की है.  भ्रष्टाचार के नित नए खुलासे से परेशान मनमोहन  सरकार भले ही अब आधार कार्ड के जरिये अपना जमीनी आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसका नतीजा सार्थक ही होगा इस बात की क्या गारंटी है। हालाकि जयपुर के पास डुडु में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आधार कार्ड के जरिये सब्सिडी के नकद भुगतान की शुरुआत की तो दावा किया कि यह गरीबों व जरूरतमंदों का जीवन बदल देगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इससे जहां जरूरतमंदों तक सीधे मदद पहुंचेगी। वहीं, बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और बेईमानी तथा देरी की शिकायतें कम हो जाएंगी. लेकिन यही यह सवाल पैदा होता है की आम आदमी की भलाई इसके माध्यम से हो सके यह सुनिश्चित कौन करेगा. ।समारोह में प्रधानमंत्री सिंह ने उदयपुर की एक महिला बाली बाई को 21 करोड़वां आधार कार्ड सौंपा। उन्होंने कहा कि इससे सबसे अधिक फायदा करोड़ों गरीब, बेरोजगार और मरीजों को होगा। इसके होने से व्यक्ति को पहचान साबित करने का संकट पेश नहीं आएगा। बैंक खाता खोलने, टेलीफोन कनेक्शन लेने, हवाई अथवा रेल टिकट समेत ऐसे ही अन्य कामों में मदद मिलेगी। छात्र-छात्राओं को उनके वजीफे और बुजुर्गो की पेंशन सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जा सकेगी। इसकी शुरुआत देश के 51 जिलों से की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमेशा शिकायत रहती है कि रियायती दर पर मिलने वाली रसोई गैस, डीजल और खाद उचित व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाती है। अब आधार के माध्यम से इसे सही लोगों तक नकद पहुंचाया जा सकता है। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि 'आधार' विश्व की सबसे बड़ी ऐसी परियोजना है, जो आम आदमी को उसकी पहचान देगी। इससे आम लोगों का जीवन बदल जाएगा। लोगों तक सरकारी मदद शत-प्रतिशत सीधे पहुंचने की गारंटी हो जाएगी। प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि उनकी सरकार अपने कामकाज में सूचना प्रौद्योगिकी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रही है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी में संक्षिप्त भाषण देते हुए कहा कि सरकारी कार्यक्रमों के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन के लिए आधार वरदान साबित होगा। 12 अंकों वाला यह नंबर किसी भी नागरिक के लिए हर तरह का पहचान होगा। समारोह में उन अधिकारियों को प्रधानमंत्री ने सम्मानित भी किया, जिन्होंने आधार परियोजना को यहां तक पहुंचाने में योगदान दिया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भले ही आधार कार्ड को विद्यार्थियों, बुर्जुगों, किसानों का आधार बताया हो लेकिन फिलहाल इसका जमीनी आधार नहीं है। कार्ड के जरिये लाभार्थियों तक नकद सब्सिडी पहुंचाने की योजना है। लेकिन अब तक के अनुभव कटु हैं। मनरेगा के सभी मजदूरों को अभी भी बैंकों से मजदूरी देने का प्रबंध नहीं हो सका है। दरअसल देश में बैंकों का प्रसार इतना कम है कि केरोसिन और स्वास्थ्य बीमा योजना की नकद सब्सिडी पहुंचाने का काम पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। केंद्र से लेकर राज्य तक बैंकों पर अपना जादू चलाने में नाकाम रही हैं। आधार जैसे कार्ड की एकरूपता का अभाव भी बड़ी अड़चन है। कई राज्य इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। वे यही तय नहीं कर पाए हैं कि उन्हें आधार की राह चलना है या भी जनसंख्या रजिस्टर [एनपीआर] की। आधार कार्ड का काम देख रहे नंदन नीलेकणि ने अगले दो वर्षो में 60 करोड़ आधार कार्ड बांटने का लक्ष्य रखा है। लेकिन वह यह भूल गए हैं कि काम राज्यों को करना है और उनमें उत्साह की कमी है। इन अड़चनों के बीच आधार के जरिये नकद सब्सिडी ने सवाल भी खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल यह है कि अगर इसके जरिये खाद्य सब्सिडी दी गई तो फिर राशन प्रणाली खत्म हो जाएगी। ऐसे में एफसीआइ किसके लिए अनाज खरीदेगा और उसका क्या करेगा। फिर एक नई समस्या पैदा हो जाएगी कि किसानों की उपज फिर कौन खरीदेगा। कहीं किसान पूरी तरह व्यापारियों की मनमानी पर तो आश्रित नहीं हो जाएंगे।प्रधानमंत्री को यह समझना चाहिए की आधार कार्ड को लोगों के जीवन का आधार तभी बनाया जा सकेगा जब इस व्यवस्था के क्रियान्वयन की दिशा में नैतिकता और इमानदारी पूर्ण पहल होगी.

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