Wednesday 8 August 2012


देश की अस्मिता पर हमला है असम में हिंसा

बांग्लादेश से आकर असम में बसे लोगों और असमियों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 73 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि चार लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। निचले असम के जिलों में हिंसा की ताजा घटना होने की खबरें हैं। इस हिंसा में अब बाहरी तत्वों ने भी दखल देना शुरू कर दिया है जिससे हिंसा और बढ़  गई है। इस हिंसा को साम्प्रदायिक रूप न देते हुए इसे विदेशियों द्वारा भारत के अस्मिता पर हमला करार दिया जाना चाहिए.सरकार पहले ही इन दंगों की सीबीआई से जांच की बात कह चुकी है। मुख्यमंत्री ने बिगड़े हालात के लिए अंदरूनी और देश के बाहरी दोनों तरह की ताकतों को जिम्मेदार बताया है। सूत्रों ने  ने बताया कि, हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित कोकराझार जिले में सोमवार रात तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। घटना रानीबुली गांव की है जहां कुछ लोगों ने इन पर फायरिंग कर दी थी।


घायलों को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा पड़ोसी चिरांग जिले में भी मंगलवार को एक शख्स की लाश मिली है। इन तीन व्यक्तियों के मारे जाने पर हत्या के विरोध में लगभग 500 लोगों के एक समूह ने बेलटोली में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 को बंद कर दिया। कोकराझार में फिर से बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया है। चिरांग में 24 घंटों का कर्फ्यू जारी है। कोकराझार, चिरांग और धुबरी जिलों में सुबह के समय सेना का फ्लैग मार्च चल रहा है।


इसी बीच मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, मैंने राज्य में हुई हिंसा की जांच सीबीआई से करने की सिफारिश की है। अब इस मामले में अंतिम फैसला केंद्र को लेना है। प्रेस के सवाल पर गोगोई ने कहा, राज्य की बिगड़ी दशा के लिए आंतरिक और बाहरी ताकतें जिम्मेदार हैं। इस बारे में और ज्यादा ब्यौरा दिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई जांच में यह सब साफ हो जाएगा।


असम में हिंदू-मुसलमान का झगड़ा नहीं : दिल्ली में असम हिंसा पर एक परिचर्चा के दौरान भाजपा प्रेजिडेंट नितिन गडकरी ने कहा कि असम में हो रही घटनाएं हिंदू-मुस्लिम संघर्ष नहीं है, इसे इस तरह का सांप्रदायिक जामा पहनाना कतई सही नहीं है। यह संघर्ष भारतीयों और विदेशी घुसपैठियों के बीच है। असल में यह हिंदुस्तानियों और विदेशी घुसपैठियों के बीच का संघर्ष है। देश को बचाने के लिए बोडोलैंड में विदेशी घुसपैठियों का जमकर मुकाबला किया जा रहा है।  असम की हिंसा के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव को लेकर भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के करीब 20 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई और प्रश्नकाल नहीं चल सका। भाजपा के सदस्य असम की हिंसा के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव को लेकर हंगामा करने लगे। असम के कोकराझार से बीपीएफ सदस्य एसके विश्वमुथियारी ने भी अध्यक्ष के आसन के समीप आकर विरोध दर्ज कराया। इस बीच आंध्रप्रदेश के तेलंगाना से कांग्रेस के सदस्य भी अपने स्थानों पर खड़े होकर अलग प्रदेश की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। हंगामा थमता नहीं देख अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मांग पर केंद्र ने असम में जारी सांप्रदायिक हिंसा की जांच करने के लिए गुरुवार को असम के हिंसाग्रस्त इलाकों में सीबीआई की टीम भेजने का फैसला लिया है। सूत्रों ने बताया कि बुधवार को गोगोई ने केंद्र से हिंसा की सीबीआई जांच की मांग की थी। इस पर केंद्र ने सीबीआई टीम भेजने का फैसला लिया है।असम हिंसा में बाहरी तत्व भी शामिल : असम के कोकाराझार व चिरांग जिलों में पिछले महीने भड़की हिंसा में बाहरी तत्वों का हाथ होने का संकेत देते हुए राज्य सरकार ने मंगलवार को कहा कि बोडो जनजाति तथा बांग्लादेशी मुसलमानों के बीच भड़की हिंसा के पीछे बाहरी व आंतरिक तत्वों का हाथ था। हिंसा बोडोलैंड टेरिटोयिल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) के कोकराझार तथा चिरांग जिले से शुरू हुई थी, जो बाद में धुबरी जिले तक पहुंच गई।  यह कायराना हरकत देश की अस्मिता को खुली चुनौती है तथा इस पर दलगत राजनीती से ऊपर उठकर प्रतिक्रिया व्यक्त की जनि चाहिए.

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