Wednesday 8 August 2012


वर्तमान हालात का प्रतिबिम्ब है अडवाणी का बयान
भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा संसद में यूपीए को भले ही चाहे नाजायज न कहा गया होता लेकिन यदि उन्होंने यूपीए सरकार को बचाने में धन बल के इस्तेमाल का हवाला दिया है तो उसमे गलत क्या है. आडवाणी का यह बयान तो देश के वर्तमान राजनीतिक हालात का प्रतिबिम्ब है. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि संसद के मॉनसूत्र सत्र के पहले दिन असम हिंसा पर चर्चा के दौरान बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी के यूपीए-2 सरकार को पैसों के बल पर बचाने के बयान पर हंगामा खड़ा हो गया। आडवाणी के बयान पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी गुस्से से तमतमा गईं। उन्होंने आडवाणी के बयान का जोरदार तरीके से विरोध किया। सोनिया गांधी पहली बार सदन में इतने गुस्से में दिखीं। दरअसल, आडवाणी ने असम हिंसा पर चर्चा के बीच में अचानक कहा कि यूपीए-1 सरकार चुनाव जीतकर बनी, लेकिन यूपीए-2 सरकार को पैसे देकर बचाया गया। आडवाणी का इतना कहना था कि सदन में हंगामा शुरू हो गया। हालांकि, बाद में आडवाणी ने अपना यह विवादित बयान वापस ले लिया। बाद में आडवाणी ने स्पष्ट किया कि उनका आशय जुलाई, 2008 के विश्वास मत को लेकर था, न कि 2009 के चुनाव से। बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने भी आडवाणी के इस बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा, 'आडवाणी ने यूपीए सरकार को असंवैधानिक नहीं कहा। उन्होंने यह बात स्वीकार भी की है। उन्होंने अपना बयान 2008 के अविश्वास प्रस्ताव के संदर्भ में दिया था।' कांग्रेस और सोनिया गाँधी को उक्त सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए क्यों कि पिछली मर्तबा यूपीए सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान धन बल को जो भोंडा प्रदर्शन संसद में हुआ उससे विश्वभर में भारत की छवि को बट्टा लगा.

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