Friday 10 August 2012

देश की राजनीति में अवसरवादिता का बोलबाला
देश की राजनीति में इन दिनों अवसरवादिता का जबरदस्त बोलबाला नजर आ रहा है. आदर्शों सिद्धांतों और मूल्यों को टाक पर रखकर शायद राजनीति को सत्तासुख और जेबें भरने का आधार समझ लिया गया है. हलाकि देश की राजनीति में कुछ अच्छे लोग भी हैं लेकिन परिस्थिति जन्य कारणों के चलते वह हासिये पर हैं. अब हम कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की ही बात करें तो वह भाजपा में भले ही दबाव की राजनीति करने में सफल रहते हों लेकिन यदि देश हित में उनके बारे में बात की जाये तो उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को कैसे नजर अंदाज किया जा सकता है. यह बात अलग है की दक्षिण भारत में पहली बार कमल खिलाने वाले येदियुरप्पा के दागी होने के बावजूद भाजपा में उन्हें तबज्जो मिल रही है लेकिन आखिर भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार ही होता है. वहीँ दूसरी ओरलोकायुक्त अदालत ने भद्रावती में भूमि को गैर अधिसूचित करने के मामले में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा और उनके पुत्र के खिलाफ विस्तृत जांच का आदेश दिया है। वहीं, येद्दयुरप्पा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की एक शर्त से छूट की गुहार लगाई है। इस पर अदालत ने सीबीआइ से 13 अगस्त तक जवाब मांगा है। पूर्व मुख्यमंत्री बेंगलूर जाने से पहले कोर्ट की अनुमति लेने की शर्त से छूट चाहते हैं। कथित भूमि घोटाले में लोकायुक्त कोर्ट जज एनके सुधींद्र राव ने लोकायुक्त डीएसपी नाहद को विस्तृत जांच कर 31 अगस्त तक रिपोर्ट देने को कहा। शिकायतकर्ता विनोद बी ने इस मामले में येद्दयुरप्पा, उनके सांसद बेटे बीवाई राघवेंद्र और पांच अन्य को आरोपी बनाया है। आरोप है कि येद्दयुरप्पा ने पद का दुरुपयोग करते हुए 2010 में भद्रावती की 69 एकड़ भूमि को गैर अधिसूचित किया। विनोद बी ने शिकायत में यह भी कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने भूमि को गैर अधिसूचित करने के दो माह बाद ही बेनामीदारों की मदद से उसे धवलगिरि प्रापर्टीज के नाम करा दिया। उनका कहना है कि 2010-11 में भद्रावती स्थित रिजर्व फॉरेस्ट की 250 एकड़ भूमि गैर अधिसूचित कर येद्दयुरप्पा ने बेहिसाब संपत्ति कमाई। वास्तव में राजनीति में पद और प्रभाव के दुरूपयोग का ऐसा शर्मनाक दौर शुरू हुआ है क़ि अब देश का भगवान् ही मालिक है.

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