Sunday 19 August 2012

ईद को बनायें देश के उत्थान का आधार

पारस्परिक सद्भाव और भाई चारे का पर्व ईद हमारे देश और समाज में विशेष स्थान रखता है. नेकी. न्याय और इंसानियत के फलीभूत होने का सन्देश देने वाला यह पर्व देश के उत्थान का आधार बने यही हमारी कामना है.रमजान शरीफ में पूरे महीने इबादत करने के बाद बंदे को अल्लाह की तरफ से ईनाम ईद के दिन मिलता है। शरीयत के मुताबिक ईद के दिन से ज्यादा खुशी का दिन और कोई नहीं। यूं तो ईद साल में दो बार आती है। रमजान के बाद मनाई जाने वाली ईद को ईद-उल-फितर कहते हैं।इस दिन सभी पुरुष ईदगाह में जमा होकर दो रकत नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं। महिलाएं अपने घरों में नमाज अदा करती हैं। ईद की नमाज के बाद लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। नमाज के लिए जाने से पहले सदका, फितर देना जरूरी है। इसके तहत परिवार के हर शख्स के हिसाब से 35 से 40 रुपए किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दिए जाते हैं। बहुत से लोग सदका फितर रमजान में ही अदा कर देते हैं, क्योंकि रमजान में हर नेकी का सवाब सत्तर गुना बढ़ जाता है। जो लोग साहिबे हैसियत है वे ईद की नमाज से पहले या रमजान में ही जकात अदा करते हैं। जकात शरीयत के मुताबिक टैक्स है। अगर किसी शख्स के पास साढ़े सात तोला सोना या इसके बराबर कीमत की चांदी या फिर इतना ही नकद रुपया है तो उसे अपने धन का ढाई प्रतिशत गरीबों में, विधवा औरतों में दान करना जरूरी है।

ईद के दिन की सुन्नतें-
ईद के दिन की सुन्नतें इस तरह हैं- 1. शरीयत के मुताबिक खुद को सजाना 2. गुस्ल करना 3. मिस्वाक करना 4. अच्छे कपड़े पहनना 5. खुशबू लगाना 6. सुबह जल्दी उठना 7. बहुत सवेरे ईदगाह पहुंच जाना 8. ईदगाह जाने से पहले मीठी चीज खाना 9. ईद की नमाज ईदगाह में अदा करना 10. एक रास्ते से जाकर दूसरे रास्ते से वापस आना 11. पैदल जाना 12. रास्ते में धीरे-धीरे तकबीर पढ़ना।
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आइये हम सब मिलकर ईद के पर्व को राष्ट्रिय एकता और आपसी सद्भाव का साक्षी बनायें .

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