Wednesday 8 August 2012

सुधांशु द्विवेदी
बाढ़ प्रभावितों को मिले हर संभव मदद
मध्यप्रदेश में भारी बारिश ने कई क्षेत्रों में कहर बरपाया है. ऐसे में यह जरुरी है की दृढ इच्छा शक्ति और प्रशासनिक कौसल का परिचय देते हुए अति वृष्टि प्रभावितों के हर संभव मदद की जाये. प्रायः देखने में अत है की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सारी व्यवस्था लापरवाही और लालफीताशाही की भेंट चढ़ जाती है. ऐसे में भले ही प्राक्रतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण न हो लेकिन तत्परता पूर्वक पहल करने से स्थिति की विभीषिका को काफी हद तक कम किया जा सकता है.मध्य प्रदेश में पिछले तीन दिनों में मूसलाधार बारिश की वजह से पैदा हुई बाढ़ की स्थिति में बारिश की वजह से अबतक 23 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि फसलों को अधिक नुकसान नहीं हुआ है। राज्य शासन के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) इंद्रनील शंकर दाणी के अनुसार ज्यादा बारिश और बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रकोप होशंगाबाद, हरदा, रायसेन, विदिशा और सीहोर जिले पर हुआ है, जबकि होशंगाबाद के सेठानी घाट पर नर्मदा नदी गत 06 अगस्त को खतरे के निशान से पांच फुट ऊपर बह रही थी, जो बुधवार को नीचे आ गई है। राहत और बचाव कार्य के लिए प्रशासन ने सेना की एक टुकड़ी को बुलाया था, जिसे स्थिति बेहतर होने, बचाव और राहत कार्य नियंत्रण में आने के बाद वापस कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में हालात अब तेजी से सुधर रहे हैं। इन सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में मंगलवार से बारिश का सिलसिला थमा हुआ है। वर्षाजनित हादसों से अब तक 23 लोगों की मौत हुई है। वहीं, 245 पशुओं की मौत और 947 मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। सोलह जिलों में 85 सड़कें और छह नैशनल हाइवे और चार पुल-पुलियों को नुकसान हुआ है। बाढ़ और बारिश से लगभग 14 करोड़ रुपए की क्षति का अनुमान है
प्रदेश में जिस तरह बाढ़ के हालत निर्मित हुए हैं यह एक चुनौती है. जिससे पूरी मुस्तैदी पूर्वक निपटा जाना चाहिए

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