Thursday 23 August 2012


कोयला घोटाले में राजग का दामन भी काला 

कैग की रिपोर्ट को संसद में प्रस्तुत करने के बाद सामने आये कथित कोयला घोटाले के बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया है. विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर संसद ठप्प किये जाने के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा माँगा जा रहा है. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्षी राजग का आक्रामक रुख तो स्वाभाविक है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि राजग इस मुद्दे पर संसद में चर्चा क्यों नहीं कराना चाहता . जाहिर है कि इस घोटाले के लपेटे में मध्यप्रदेश सहित भाजपा शासित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी आने वाले हैं. क्यों कि इस मुद्दे पर राजग का दामन भी काला है. यही कारण है कि पोल खुलने के डर से भाजपा इस मुद्दे पर संसद में चर्चा ही नहीं चाहता. सिर्फ वह प्रधानमंत्री की बलि लेना चाहता है. उधर  कोयला घोटाले पर विपक्ष की जिद के सामने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी आक्रामक रूप से खुलकर सामने आने के बाद राजनीतिक संकट और गहरा गया है। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े विपक्ष के सामने बिल्कुल न झुकने की सोनिया की नसीहत के बाद कांग्रेसियों के और ज्यादा लड़ाकू तेवर अपनाने के बाद सोमवार से पहले यह गतिरोध निपटने के आसार बिल्कुल खत्म हो गए हैं। हालांकि, संसद चलाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खुद बयान देने और सर्वदलीय बैठक का प्रस्ताव भाजपा के पास भेजा गया है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल ने सोमवार को ही अपने पत्ते खोलने को कहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे से कम पर किसी भी तरह राजी नहीं हो रही भाजपा के तेवरों से भड़की सोनिया ने अपने सांसदों को भी दबाव में न आने की ताकीद कर दी। संप्रग अध्यक्ष ने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में दो टूक कहा कि 'विपक्ष का तरीका सरासर गलत है और सरकार को बचाव की कोई जरूरत नहीं है, इसलिए हमें भी आक्रामक रुख ही अपनाना चाहिए।' सोनिया के इन तेवरों के बाद कांग्रेस के मंत्री और सांसदों ने भाजपा के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। इससे गतिरोध समाप्त होने के बजाय और बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इसके संकेत जेपीसी के प्रमुख पीसी चाको को प्रवक्ता बनाकर दे दिए हैं। गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर हंगामा किया। जवाब में कांग्रेसी भी कमजोर नहीं रहे और उन्होंने भी आक्रामकता से जवाब दिया। कांग्रेस सांसदों ने कोयला ब्लाक आवंटन में भाजपा समेत विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को घेरे में लेने का प्रयास किया और विपक्ष को संसद में चर्चा कराने की चुनौती दी। गतिरोध दूर करने के लिए राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी ने अपने चैंबर में सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक भी की।उधर, गृह मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से भेंट कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सर्वदलीय बैठक और प्रधानमंत्री के बयान देने जैसे प्रस्ताव रखे, लेकिन सुषमा ने सोमवार से पहले कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि राजग सोमवार तक अपनी रणनीति तय करेगा। कुल मिलाकर प्रयासों के बावजूद पूरे दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। इस तरह से संसद ठप्प करने से कोई नतीजा नही निकलने वाला  है. बेहद जरुरी है कि सरकार के साथ साथ राजग भी सच का सामना करे. 

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